केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगामी जनगणना में जातिवार गणना की मंजूरी दी एवं अन्य योजनाओ को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगामी जनगणना में जातिवार गणना की मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति ने आगामी जनगणना में जातिवार गणना शामिल करने का निर्णय लिया है। यह वर्तमान सरकार की राष्ट्र और समाज के समग्र हितों और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार, जनगणना संघ का विषय है, जो सातवीं अनुसूची के संघ सूची में 69वें स्थान पर उल्लिखित है। हालांकि कुछ राज्यों ने जातिवार गणना के लिए सर्वेक्षण किए हैं, पर इनमें पारदर्शिता और उद्देश्य अलग-अलग रहे हैं। कुछ सर्वेक्षण पूरी तरह राजनीति के दृष्टिगत किए गए हैं, जिससे समाज में दुविधा उत्पन्न हुई है। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा सामाजिक ताने-बाने को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखना सुनिश्चित करने हेतु अलग-अलग सर्वेक्षणों की बजाय मुख्य जनगणना में ही जातिवार जनगणना कराने का निर्णय लिया गया है।
यह सुनिश्चित करेगा कि समाज आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत रहे और देश की प्रगति बिना किसी अवरोध के जारी रहे। उल्लेखनीय है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किये जाने पर समाज के किसी वर्ग में तनाव पैदा नहीं हुआ।
देश की आज़ादी के बाद से अब तक की सभी जनगणनाओं में जाति को बाहर रखा गया है। वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा को आश्वस्त किया था कि जातिवार जनगणना कराने के मुद्दे पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। इस विषय पर विचार-विमर्श के लिए मंत्रियों का एक समूह भी बनाया गया था। इसके अलावा अधिकांश राजनीतिक दलों ने जातिवार जनगणना की सिफारिश की थी। इसके बावजूद भी पिछली सरकार ने जातिगत जनगणना की बजाय सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना सर्वेक्षण (एसईसीसी) का विकल्प चुना।
कैबिनेट ने 2025-26 सीजन के लिए चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को देय गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को मंजूरी दी
गन्ना किसानों के लिए 355 रुपए प्रति क्विंटल का उचित एवं लाभकारी मूल्य स्वीकृत किया गया
इस निर्णय से 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को लाभ होगा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने गन्ना किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए 2025-26 (अक्टूबर-सितंबर) सीजन के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 355 रुपए प्रति क्विंटल स्वीकृत किया है। इसकी मूल वसूली दर 10.25 प्रतिशत होगी जिसमें 10.25 प्रतिशत से अधिक वसूली में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 3.46 रुपए प्रति क्विंटल का प्रीमियम प्रदान किया जाएगा तथा वसूली में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की कमी के लिए एफआरपी में 3.46 रुपए प्रति क्विंटल की कमी की जाएगी।
हालांकि, गन्ना किसानों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि जिन चीनी मिलों की वसूली 9.5 प्रतिशत से कम है, उनके मामले में कोई कटौती नहीं की जाएगी। ऐसे किसानों को 2025-26 के आगामी सीजन में गन्ने के लिए 329.05 रुपए प्रति क्विंटल मिलेंगे।
2025-26 सीजन के लिए गन्ने की उत्पादन लागत (ए2+एफएल) 173 रुपए प्रति क्विंटल है। 10.25 प्रतिशत की रिकवरी दर पर 355 रुपए प्रति क्विंटल का यह एफआरपी उत्पादन लागत से 105.2 प्रतिशत अधिक है। 2025-26 सीजन के लिए एफआरपी, मौजूदा 2024-25 सीजन से 4.41 प्रतिशत अधिक है।
यह स्वीकृत एफआरपी चीनी मिलों द्वारा 2025-26 (1 अक्टूबर, 2025 से शुरू) सीजन में किसानों से गन्ने की खरीद के लिए लागू होगी। चीनी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित क्षेत्र है जिसमें लगभग 5 करोड़ गन्ना किसान और उनके आश्रितों की आजीविका जुड़ी हुई है और चीनी मिलों में लगभग 5 लाख श्रमिक प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं। इसके अलावा वे लोग कृषि मजदूरी और परिवहन सहित विभिन्न सहायक गतिविधियों में भी कार्यरत हैं।
पृष्ठभूमि:
एफआरपी का निर्धारण, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर तथा राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के परामर्श के बाद किया गया है।
पिछले 2023-24 सीजन में देय 1,11,782 करोड़ रुपए के बकाये में से 28.04.2025 तक किसानों को लगभग 1,11,703 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। इस प्रकार 99.92 प्रतिशत बकाये का भुगतान किया जा चुका है। चालू सीजन 2024-25 में देय 97,270 करोड़ रुपए के बकाये में से 28.04.2025 तक किसानों को लगभग 85,094 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। इस प्रकार 87 प्रतिशत गन्ना बकाये का भुगतान किया जा चुका है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) पर मेघालय के मावलिंगखुंग (शिलांग के पास) से असम के पंचग्राम (सिलचर के पास) तक 166.80 किलोमीटर (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-6) के ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित करने को मंजूरी दी
कॉरिडोर की कुल पूंजी लागत 22,864 करोड़ रुपये है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने हाइब्रिड एन्युटी मोड (सार्वजनिक-निजी भागीदारी वार्षिकी परियोजना लागत भुगतान) पर मेघालय के मावलिंगखुंग (शिलांग के निकट) से असम के पंचग्राम (सिलचर के निकट) तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 06 के 4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस नियंत्रित 166.80 किलोमीटर मार्ग के विकास, रखरखाव और प्रबंधन प्रस्ताव को मंजूरी दी है। परियोजना की पूंजीगत लागत 22,864 करोड़ रुपये है। 166.80 किलोमीटर लंबी परियोजना का 144.80 किलोमीटर हिस्सा मेघालय और 22 किलोमीटर असम में पड़ता है।
प्रस्तावित ग्रीनफील्ड (नवीन) हाई-स्पीड गलियारे से गुवाहाटी से सिलचर जाने वाले यातायात सेवा में सुधार होगा। इस कॉरिडोर के विकास से त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और असम के बराक घाटी क्षेत्र से मुख्य भूमि-क्षेत्र और गुवाहाटी तक सड़क संपर्क में सुधार होगा और दूरी तथा यात्रा अवधि में काफी कमी आएगी। यह देश के परिचालन तंत्र दक्षता को बढ़ाने में योगदान देगा।
यह गलियारा असम और मेघालय के बीच सड़क संपर्क बेहतर बनाएगा और मेघालय के सीमेंट और कोयला उत्पादन क्षेत्रों से गुजरने के कारण वहां के उद्योगों के विकास सहित आर्थिक प्रगति में बढ़ावा देगा। गुवाहाटी को सिलचर से जोड़ने वाला यह गलियारा गुवाहाटी हवाई अड्डे, शिलांग हवाई अड्डे, सिलचर हवाई अड्डे (मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-6 के माध्यम से) से आने वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए काफी उपयोगी होगा। यह पूर्वोत्तर के सुरम्य आकर्षक पर्यटक केंद्रों को जोड़ेगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
यह महत्वपूर्ण ढांचागत परियोजना री भोई, पूर्वी खासी पहाड़ियों, पश्चिम जैंतिया पहाड़ियों, मेघालय के पूर्वी जैंतिया पहाड़ियों और असम में कछार जिले से गुजरेगी और गुवाहाटी, शिलांग और सिलचर के बीच अंतर-शहर संपर्क में भी सुधार लाएगी। इससे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-06 पर वाहन भीड़भाड़ भी कम होगी और यह पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप परिवहन अवसंरचना विकास को बढ़ावा देगी।
यह परियोजना एनएच-27, एनएच-106, एनएच-206, एनएच-37 सहित प्रमुख परिवहन गलियारों के साथ जुड़ी है, जो गुवाहाटी, शिलांग, सिलचर, डिएंगपासोह, उम्मुलोंग, फ्रामर, ख्लेहरियत, रताचेर्रा, उमकिआंग, कलैन को निर्बाध संपर्क प्रदान करती है।
शिलांग-सिलचर कॉरिडोर परियोजना का काम पूरा होने पर यह क्षेत्र के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएगी। इससे गुवाहाटी, शिलांग, सिलचर, इंफाल, आइज़ॉल और अगरतला के बीच संपर्क बेहतर होगा। यह परियोजना सरकार के आत्मनिर्भर भारत की भविष्य दृष्टि योजना के अनुरूप है, जो मेघालय, असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में रोजगार सृजन और सामाजिक-आर्थिक प्रगति में योगदान देते हुए बुनियादी ढांचे को व्यापक बनाएगी।
विशेषता विवरण
परियोजना का नाम मेघालय के मावलिंगखुंग (शिलांग के पास) से असम के पंचग्राम (सिलचर के पास) तक 166.80 किलोमीटर (राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-6) का हाइब्रिड एन्युटी मोड में विकास, रखरखाव और प्रबंधन
गलियारा शिलांग - सिलचर (एनएच-06)
लंबाई (किमी) 166.8 किलोमीटर
कुल नागरिक कार्य खर्च 12,087 करोड़ रुपये
भूमि अधिग्रहण लागत 3,503 करोड़ रुपये
कुल पूंजीगत लागत 22,864 करोड़ रुपये
मोड हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम)
मुख्य सड़क संपर्क जुड़ाव राष्ट्रीय राजमार्ग-27, राष्ट्रीय राजमार्ग-106,
राष्ट्रीय राजमार्ग-206, राष्ट्रीय राजमार्ग-37, राजकीय
राजमार्ग-07, राजमार्ग-08, राजमार्ग-09, राजमार्ग-38
आर्थिक/सामाजिक/परिवहन हवाई अड्डे जुड़ाव: गुवाहाटी हवाई अड्डा, शिलांग हवाई
अड्डा, सिलचर हवाई अड्डा
मुख्य शहर/कस्बे से जुड़ाव गुवाहाटी, शिलांग, सिलचर, डिएंगपासोह, उम्मुलोंग, फ्रामर,
ख्लेहरियत, रताचेर्रा, उमकिआंग, कलैन।
रोजगार सृजन क्षमता 74 लाख मानव-दिवस (प्रत्यक्ष) और 93 लाख मानव-दिवस
(अप्रत्यक्ष)
वित्त वर्ष 2025 में वार्षिक औसत
दैनिक यातायात (एएडीटी) अनुमानित 19,000-20,000 यात्री कार
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